शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

माँ और मजबूरी







छोटे से बच्चे को क्रैच में छोड़ते समय माँ की आँखों में आँसूं  एवं दिल में दर्द था ----माँ छोड़कर जा रही है ये देख बच्चा  जार-बेजार रो रहा है पर माँ क्या करे उसे नौकरी भी करना है ताकि बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो सके---
समय बदला-- वक्त ने करवट ली ---
 माँ  दरवाजे पर खड़ी है --उनकी आँखें आज भी भरी हैं  और दिल में दर्द भी है क्योंकि आज उनका बेटा पढ़लिख कर--- बड़ा आदमी ? बन गया है और बीवी के साथ ख़ुशी-ख़ुशी  अपने आशियाने की ओर  कदम बढ़ा रहा है। वक्त के साथ सिर्फ एक बात  नहीं बदली  ---माँ की आँखों में  आँसू और दिल में  दर्द---माँ बेटे के साथ जाना चाहती है पर नहीं जा सकती वो कल भी मजबूर थी और आज भी मजबूर है--कल उसकी  मजबूरी नौकरी थी और आज बेटे-बहू की  आज़ादी - सब कुछ बदल कर भी कुछ नहीं बदला  शायद इसे  हीं जीवन कहते हैं। माँ और मजबूरी का बड़ा गहरा नाता है। 
                                      

9 टिप्‍पणियां:

  1. मार्मिक !
    समय -समय की बात है ! रिश्तों के तार मन से जुड़े रहें , यह भी कम नहीं !

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  2. " माँ और मजबूरी का बड़ा गहरा नाता है। "

    मार्मिक कथा सार तत्व लिए आधुनिक जीवन की चुभन लिए झरबेरियां लिए .


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  3. मार्मिक कारुणिक सच्चाई हमारे वक्त की

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  4. वृद्धों को भरी बीमारी में, असहाय अकेले छोड़ दिया,
    सर झुका नहीं माँ के आगे, ठाकुरद्वारा क्या समझेंगे !

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  5. सही बात...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मतदान कीजिए
    नयी पोस्ट@सुनो न संगेमरमर

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