छोटे से बच्चे को क्रैच में छोड़ते समय माँ की आँखों में आँसूं एवं दिल में दर्द था ----माँ छोड़कर जा रही है ये देख बच्चा जार-बेजार रो रहा है पर माँ क्या करे उसे नौकरी भी करना है ताकि बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो सके---
समय बदला-- वक्त ने करवट ली ---
माँ दरवाजे पर खड़ी है --उनकी आँखें आज भी भरी हैं और दिल में दर्द भी है क्योंकि आज उनका बेटा पढ़लिख कर--- बड़ा आदमी ? बन गया है और बीवी के साथ ख़ुशी-ख़ुशी अपने आशियाने की ओर कदम बढ़ा रहा है। वक्त के साथ सिर्फ एक बात नहीं बदली ---माँ की आँखों में आँसू और दिल में दर्द---माँ बेटे के साथ जाना चाहती है पर नहीं जा सकती वो कल भी मजबूर थी और आज भी मजबूर है--कल उसकी मजबूरी नौकरी थी और आज बेटे-बहू की आज़ादी - सब कुछ बदल कर भी कुछ नहीं बदला शायद इसे हीं जीवन कहते हैं। माँ और मजबूरी का बड़ा गहरा नाता है।