छोटे से बच्चे को क्रैच में छोड़ते समय माँ की आँखों में आँसूं एवं दिल में दर्द था ----माँ छोड़कर जा रही है ये देख बच्चा जार-बेजार रो रहा है पर माँ क्या करे उसे नौकरी भी करना है ताकि बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो सके---
समय बदला-- वक्त ने करवट ली ---
माँ दरवाजे पर खड़ी है --उनकी आँखें आज भी भरी हैं और दिल में दर्द भी है क्योंकि आज उनका बेटा पढ़लिख कर--- बड़ा आदमी ? बन गया है और बीवी के साथ ख़ुशी-ख़ुशी अपने आशियाने की ओर कदम बढ़ा रहा है। वक्त के साथ सिर्फ एक बात नहीं बदली ---माँ की आँखों में आँसू और दिल में दर्द---माँ बेटे के साथ जाना चाहती है पर नहीं जा सकती वो कल भी मजबूर थी और आज भी मजबूर है--कल उसकी मजबूरी नौकरी थी और आज बेटे-बहू की आज़ादी - सब कुछ बदल कर भी कुछ नहीं बदला शायद इसे हीं जीवन कहते हैं। माँ और मजबूरी का बड़ा गहरा नाता है।
मर्मस्पर्शी.....
जवाब देंहटाएंमार्मिक !
जवाब देंहटाएंसमय -समय की बात है ! रिश्तों के तार मन से जुड़े रहें , यह भी कम नहीं !
" माँ और मजबूरी का बड़ा गहरा नाता है। "
जवाब देंहटाएंमार्मिक कथा सार तत्व लिए आधुनिक जीवन की चुभन लिए झरबेरियां लिए .
मार्मिक कारुणिक सच्चाई हमारे वक्त की
जवाब देंहटाएंmarmik
जवाब देंहटाएंवृद्धों को भरी बीमारी में, असहाय अकेले छोड़ दिया,
जवाब देंहटाएंसर झुका नहीं माँ के आगे, ठाकुरद्वारा क्या समझेंगे !
atulniy-***
जवाब देंहटाएंसही बात...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@मतदान कीजिए
नयी पोस्ट@सुनो न संगेमरमर
जी बिल्कुल सही कहा आपने। स्वयं शून्य
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