धुँध के उस पार
गुरुवार, 2 जनवरी 2020
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बहुत याद आती हो रजनी 2002 -2003 का सत्र था जब मैंने शिक्षा -संस्थान (SOE भँवर कुआँ) ...
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शनिवार, 17 जून 2017
शायद
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यादों और दोस्ती का बड़ा गहरा रिश्ताहै क्योंकि दोस्ती जहाँ समय के साथ गहराती है वहीँ वो धुँधली भी हो जाती है ऐसी ही एक दोस्ती को पुनर...
शुक्रवार, 22 जुलाई 2016
वो औरत
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उसकी दूसरी शादी थी। पहले पति से किसी कारणव श तलाक हो गया था। पढ़ी लिखी समझदार महिला थी। दूसरे पति की पत्नी का देहांत हो गया था किसी बीमा...
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गुरुवार, 9 जून 2016
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- गला खुश्क पर --- भागलपुर का रेलवे स्टेशन ---आज भी वैसा...
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गुरुवार, 23 जुलाई 2015
पैंतीस साल बाद
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१ मई २०१५ को..... लगभग .... पैंतीस साल बाद बचपन की उन गलियों और सहेलियों से मिलने गई थी जिनके साथ बड़े सुखमय पल बिताये थे मैंने झारखण्...
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सोमवार, 29 सितंबर 2014
मधुर मुस्कान
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सुबह के सवा नौ बज रहे होंगे। सिलिकॉन सिटी से भंवरकुँआ जाने के लिए निकल रही थी। अकेली थी सो क़दमों की गति तेज थी कि अचानक पीछे से आवाज...
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रविवार, 13 अप्रैल 2014
धुँधली सी यादें
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दो छोटे-छोटे बच्चों की माँ थीं वो---- चेहरे पे मुस्कान उनकी पहचान थी.सपनों से भरी उनकी आँखें हमेशा ही मुझे उनकी ओर आकर्षित करता था । काल...
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